टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी की ट्राई ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें बताया गया है कि बीते कई सालों में देश की टेलीकॉम कंपनियों के राजस्व में वॉइस कॉल की हिस्सेदारी में लगभग 80 प्रतिशत और SMS में करीब 94 प्रतिशत की गिरावट आई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि टेलीकॉम कंपनियों की इस गिरावट में मुख्य कारण इंटरनेट है। क्योंकि आज के समय में इंटरनेट आधारित कॉलिंग और मैसेजिंग ऐप का इस्तेमाल काफी ज्यादा बढ़ गया है। ट्राई की तरफ से जानकारी दी गई है कि डेटा के इस्तेमाल से हर एक यूजर्स की राजस्व हिस्सेदारी 10 प्रतिशत बढ़ गई है। टेलीकॉम कंपनियों का बदला ये रेवेन्यू मॉडल करीब 10 सालों में चेंज हुआ है। भारतीय बाजार में ऐसी गिरावट पहली बार हुई है।

डेटा बना रेवेन्यू का पहला स्रोत

ट्राई ने अपनी रिपोर्ट में व्हाट्सऐप, गूगल मीट जैसे इंटरनेट मैसेजिंग और कॉलिंग ऐप को रेगुलेट करने की बात भी कही है। रिपोर्ट में आगे बताया गया कि मैसेजिंग और वॉइस के लिए ओवर-द-टॉप यानी की ओटीटी का बढ़ता यूज दुनियाभर के टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर के लिए डेटा रेवन्यू का प्रमुख स्रोत बन गया है।

ये भी पढ़े: Airtel-Jio को मात देगा अब BSNL का ये धांसू प्लान! हर महीने सिर्फ 99 रुपये का खर्च, डाटा-कॉलिंग सब फ्री

जानकारी के लिए बता दें कि जून 2013 क्वार्टर के हिसाब से और दिसंबर 2022 क्वार्टर के हिसाब से टेलीकॉम कंपनियों के प्रति एआरपीयू में डेटा रेवेन्यू की हिस्सेदारी को छोड़कर सभी चीजों में गिरावट आ गई है। यानी की डेटा रेवेन्यू 10 गुना तेजी के साथ दिसंबर 2022 में बढ़कर 85.1 प्रतिशत हो गया है।

ट्राई की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार जून 2013 तिमाही के बीच एआरपीयू में वॉइस कॉल का हिस्सा 146.96 रुपये था, जोकि अब गिरकर 72 रुपए के आस पास हो गया है। वहीं SMS का रेवेन्यू हिस्सेदारी 3 रुपये से कम होकर 23 पैसे हो गया है।

टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी की ट्राई इस बात की संभावनाएं ढूंढ रहा है कि क्या ओटीटी प्लेयर्स को लाइसेंसिंग अंदर लाया जा सकता है या नहीं, अगर ओटीटी प्लेयर्स को लाइसेंसिंग ट्राई को मिल जाती है तो एंट्री अमाउंट, रेवेन्यू शुल्क, रेवेन्यू हिस्सेदारी का भुगतान, कॉल डेटा रिकॉर्ड देना, सेवा देने के लिए नियमों के अनुसार खर्च करना होगा।

LATEST POSTS:-