भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण यानी की TRAI ने कहा है कि मोबाइल दूरसंचार में तकनीकी डेवलपमेंट और प्रदर्शन मैनेजमेंट टूल में प्रगति के बावजूद, कंज्यूमर्स के एक्सपीरियंस की गुणवत्ता यानी क्यूओई में उम्मीद के हिसाब से किसिस भी तरह का कोई सुधार नहीं हुआ है। हालांकि सेवा की क्वालिटी QOS की आवश्यकताएं तकनीकी मानकों की तरफ से पूरी है।

जानें क्यों हो रही है बार बार कॉल ड्रॉप की प्रोब्लम

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण यानी ट्राई की तरफ से आगे यह भी कहा गया है कि यहां तक कि देश में 4G नेटवर्क के अच्छी तरह से फैला हुआ है, कंपनियां 4G की सर्विस को लेकर काफी सीरियस भी हैं साथ ही 5G सेवाओं के रोलआउट भी देशभर में शुरू हो गया है। इतना सब होने के बाद भी कॉल ड्रॉप, कॉल म्यूटिंग, कम डेटा थ्रूपुट आदि की शिकायतों की संख्या लगातार बढ़ती जा थी है। आगे ट्राई ने कहा इस तरह की आ रही शिकायतें नेटवर्क डिजाइन और जरूरी नेटवर्क संसाधनों के नियम पर सवाल उठाती हैं।

गुणवत्ता के नियम होंगे सख्त

सभी नियमों बनाने वालों ने सेवा की गुणवत्ता नियमों के अनुसार कॉल ड्रॉप मापने के पैमाने, कॉल सफलता दर आदि को और भी सख्त करने का आदेश दिया है।

ट्राई ने कहा कि दूरसंचार सेवाओं की गुणवत्ता से संबंधित मुद्दे न केवल यूजर्स की शिकायतों में देखने को मिल रही है, बल्कि संसद के प्रश्नों में भी इनका पर्याप्त उल्लेख होता है।

जानकारी के लिए आपको बता दें कि बीते कई महीनों से कई यूजर्स टेलीकॉम कंपनियों से कॉल ड्रॉप होने की कई तरह की शिकायतें कर रहे हैं। शिकायतों में यह कहा जा रहा था, कि प्रॉपर नेटवर्क एरिया में रहकर भी उनकी कॉल ड्रॉप हो जाती है। वह किसी से सही समय पर कनेक्ट नहीं हो पाते, ज्यादा से ज्यादा मोबाइल फोन में रिचार्ज कराने या फिर सारी सुविधाएं लेने के बाद भी उन्हें कॉल ड्रॉप जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसके बाद ट्राई ने पूरे मामले को गंभीरता से लिया है।

ड्रॉप कॉल बनी बड़ी समस्या

फिलहाल , LTE (4G), LTE-एडवांस्ड और 5G तकनीक वाले पैकेट कोर नेटवर्क देश के करीब 75 प्रतिशत से ज्यादा टेलीकॉम नेटवर्क का हिस्सा हैं।

ट्राई की तरफ से आगे कहा गया कि फिलहाल QOS बेंचमार्क वायरलेस डेटा सेवाओं के लिए 250 मिलीसेकंड (एमएस) से कम और वायरलाइन ब्रॉडबैंड सेवा के लिए अनुमान के हिसाब से 120mm से कम देरी करता है। जोकि प्रेजेंट एप्लिकेशन की नीड के हिसाब से नहीं है। ट्राई ने कहा कि नेटवर्क उपलब्धता और ड्रॉप कॉल दर जैसे कुछ QOS बेंचमार्क के मुकाबले प्रदर्शन जिलों में अलग-अलग है।

मोबाइल ऐप और वेब का इंटरफेस

बता दें कि टेलीकॉम की सेवा देने वाली कंपनियों ने यूजर्स को मोबाइल ऐप और वेब इंटरफेस जैसी सुविधा दे रखी है। लेकिन ज्यादा वर्कफ़्लो होने की वजह से कंज्यूमर्स को अपनी शिकायतें दर्ज कराने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

Latest Post-

Ritesh Singh

रीतेश सिंह को मीडिया क्षेत्र में लगभग 12 साल का अनुभव प्राप्त है। HCL जैसे मल्टीनेशनल कंपनी से करियर की शुरुआत करने के बाद मीडिया क्षेत्र के दिग्गज कंपनियों (Gadgets 360, Ajtak) के साथ टेक बीट्स पर काम करने का अनुभव मिला। अब करीब 2 साल से टेक नगरी वेबसाइट पोर्टल में अपनी सेवा दे रहे हैं। रितेश का मकसद टेक्नोलॉजी और गैजेट्स से जुडी लेटेस्ट और बेहतरीन स्टोरी को लोगों तक पहुंचाना है।